IPS Sachin Atulkar Success Story:सिविल सर्विसेज परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है और आम धारणा यही है कि इसमें सफलता पाने के लिए अभ्यर्थियों को अपनी इच्छाओं और शौक का त्याग कर देना चाहिए। लेकिन इस धारणा को आईपीएस सचिन अतुलकर ने गलत साबित कर दिया।
सचिन को बचपन से ही स्पोर्ट्स और फिटनेस का काफी शौक था और यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने अपने शौक को मरने नहीं दिया। उनकी कहानी बताती है कि अपने लक्ष्यों को पाने के लिए हमें अपने शौक और पैशन से समझौता करने की जरूरत नहीं है। तो आइए शुरुआत करते हैं आज के लेख की जो है आईपीएस सचिन अतुलकर की सफलता की कहानी।
कौन है सचिन अतुलकर?
सचिन अतुलकर अपने लुक्स और फिटनेस की वजह से पुलिस डिपार्टमेंट के अफसर कर्मचारियों तथा आईएएस आईपीएस अभ्यर्थियों के लिए एक आइकॉन के रूप में माने जाते हैं। जब उन्होंने आईपीएस ज्वाइन किया था तब उनकी उम्र 23 साल से भी कम थी और वह सबसे कम उम्र में आईपीएस बनने वाले व्यक्ति थे।
सचिन अतुलकर 2007 बैच के आईपीएस पासआउट हैं, जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा 2006 में 298 रैंक प्राप्त की थी। उन्होंने सिविल सर्वेंट बनने की पहली प्रेरणा अपने घर से ही मिली। उनके पिता एक भारतीय वन सेवा अधिकारी हैं जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनका भाई भारतीय सेना में है।
सचिन अतुलकर जुड़ी कुछ बातें।
अतुलकर ने स्नातक की पढ़ाई वाणिज्य यानि कि बीकॉम से उत्तीर्ण की है। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पहले ही प्रयास में अतुलकर सिविल सेवा परीक्षा क्वॉलिफाई कर गए थे। एक इंटरव्यू में सचिन बताते हैं कि “मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि ऐसी थी कि मैंने करियर के लिए किसी अन्य विकल्प की तरफ ध्यान ही नहीं दिया।”
सचिन आगे कहते हैं कि “अधिकारी बनने से पहले मैं स्पोर्ट्स में काफी एक्टिव रहता था। मैंने स्कूली स्तर पर काफी गेम्स खेले हैं, जिसमें क्रिकेट मेरा पसंदीदा रहा। फिटनेस भी मेरा पैशन था, जिसे मैं आगे भी फॉलो करना चाहता था।”
क्रिकेट और हॉर्स राइडिंग में भी माहिर।
वह बताते हैं कि जब वह आईपीएस बने और फील्ड में आए तो उन्होंने सोचा कि मैं अपने आप को किसी फिजिकल एक्टिविटी से जोड़ूंगा ताकि स्ट्रेस भी कम हो और फिटनेस भी बराबर रहे। तो खेल में विशेष रुचि के चलते वर्ष 1999 में सचिन ने क्रिकेट राष्ट्रीय स्तर पर खेला। क्रिकेट के अलावा आईपीएस ट्रेनिंग के दौरान हॉर्स राइडिंग को अपना शौक बनाया। यही वजह रही कि वर्ष 2010 में हॉर्स राइडिंग की राष्ट्रीय स्तर की शो जंपिंग में अतुलकर को गोल्ड मेडल से नवाजा गया।
लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत।
आईपीएस अतुलकर की कहानी केवल पुलिस डिपार्टमेंट के अफसर कर्मचारियों के लिए ही नहीं बल्कि हर वह व्यक्ति को जो अपनी जिंदगी में कुछ कर गुजरने की चाह रखते हैं। विशेषकर उन अभ्यर्थियों के लिए जो सिविल सेवा के जरिए आईपीएस बनना चाहते हैं, एक प्रेरणास्रोत है।
अतुलकर अपनी फिटनेस को लेकर काफी सजग रहते हैं। उनकी लुक और फिटनेस किसी सिलेब्रिटी से कम नहीं है, लेकिन वह खुद को केवल एक आम इंसान ही मानते हैं और फिटनेस से ज्यादा अपने काम पर ध्यान देना पसंद करते हैं।
सोशल मीडिया पर है बहुत फेमस।
तो फिट रहने के लिए वह रोज पाबंदी के साथ एक्सरसाइज और योग करते हैं। इसके अलावा सचिन अतुलकर सोशल मीडिया में भी काफी एक्टिव हैं। सोशल मीडिया पर उनके काफी चाहने वाले भी हैं, जिन्हें वह किसी न किसी तरह से रोजाना प्रेरित करते रहते हैं। फेसबुक पर अपनी फोटो और स्टेटस अपडेट करते रहते हैं जिसे लाइक और शेयर करने वालों की भीड़ भारी संख्या में देखी जा सकती है।
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ऐसे बन सकते है सफल।
सिविल सेवा उम्मीदवारों के लिए सचिन अतुलकर की कहानी और उनकी दृढ़ता काफी प्रेरणादायक साबित हो सकती है। फिटनेस हो या फिर उनकी अपनी रुचि, दोनों के प्रति वह काफी सचेत रहते हैं। ठीक उसी प्रकार एक आईएएस या आईपीएस अभ्यर्थी को अपने लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत और खुद पर भरोसा करना चाहिए।
आत्मविश्वास ही वह बल है जो आपके जीवन पटल में उपयोगी साबित हो सकता है। अतुलकर ने खुद पर भरोसा किया और फिर आत्मविश्वास के बल पर सिविल सेवा परीक्षा में पहले ही प्रयास में आईपीएस रैंक हासिल किया।