Nick Vujicic Success Story in Hindi:कहते हैं सपने बड़े होने चाहिए क्योंकि ज़िंदगी तो बड़ी नई होती है और ज़िंदगी छोटी हो या बड़ी मुश्किल तब हो जाती है जब हमारे जीवन की बागडोर किसी और के हाथों में होती है। इस बात को गहराई से समझने के लिए आप अपनी जिंदगी की कल्पना बिना हाथ पैर के कर सकते हैं। सोचिए अगर हमारे हाथ पैर ही ना हो तो हमारी जिंदगी कैसी होगी। अपने बेसिक नीड्स के लिए हम दूसरों पर निर्भर हो जाएंगे और तीसरा शख्स हमें सिम्पैथी की नजर से देखेगा।
लेकिन लोग आपको किस नजर से देखें? उन्हें आप खुद में क्या दिखाना चाहते हैं, यह सब आप पर निर्भर करता है क्योंकि दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने डिसेबिलिटी के साथ जन्म तो लिया लेकिन उसको अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया। उनमें से एक नाम है निक वुजिकिक का। बिना हाथ पैर के साथ जन्में निक कैसे आज दुनिया का सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा जाने वाला लेखक, कोच और मेंटॉर बन गया है। क्या ऐसे लोगों के लिए एक बड़े उदाहरण के तौर पर निक को देखा जाने लगा है? चलिए इस लेख में जानते हैं निक वुजिकिक की सफलता की कहानी।
कौन है निक वुजिकिक?
निक वुजिकिक एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने अपनी कमी को कभी अपने रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया। कई बार गिरने के बाद कैसे निक ने खुद को आज इस मुकाम पर लाकर खड़ा किया है। ये सब जानने के लिए हमें निक वुजिकिक को पहले ठीक से जान लेना चाहिए। निक वुजिकिक जिनका जन्म 4 दिसंबर 1982 को मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया में हुआ। इनके पिता बोरिस वुजिकिक जो पेशे से अकाउंटेंट थे, तो उनकी मां दोशियान वुजिकिक एक नर्स थी।
यूं तो नेक एक हेल्दी चाइल्ड थे लेकिन जन्म से ही उनमें कमी थी। वो एक दुर्लभ बीमारी के साथ जन्मे थे जिनका नाम था टेट्रा अमेलिया सिंड्रोम और इस बीमारी की वजह से वह बिना हाथ पैर के जन्मे। पूरी दुनिया में इस बीमारी से ग्रसित सिर्फ सात इंसान ही जिंदा हैं। निक भी उनमें से एक हैं। निक को देखने के बाद डॉक्टर्स भी हैरान थे कि आखिरकार उनके हाथ पैर क्यों नहीं हैं।
माँ ने अपनाने से किया इंकार।
यहां तक कि जब पहली बार नर्स निक को उनकी मां के सामने दिखाने ले गई तो उनकी मां ने उन्हें देखने या गोद लेने तक से साफ इनकार कर दिया था। निक के माता पिता को उन्हें अपनाने में समय लगा, लेकिन जब उन्होंने निक को उनकी कमियों के साथ अपनाया तो उन्हों निक की चिंता भी रहने लगी।
बिना हाथ पैर के उनकी लाइफ कैसी रहेगी और उनका भविष्य क्या होगा। निक के माता पिता हमेशा इस बात को लेकर परेशान रहते। दरअसल निक के पैर की जगह पर सिर्फ उंगलियां थी जो आपस में चिपकी हुई थी। जिसे डॉक्टर्स ने ऑपरेशन के जरिए अलग कर दिया था।
10 साल की उम्र में की आत्महत्या की कोशिश।
निक की जिंदगी जन्म के साथ ही मुश्किलों से भरी हुई थी। निक अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई मुश्किलों को झेलना पड़ता। पढ़ाई लिखाई, खेलना कूदना उनके लिए सब एक सपने जैसा था। वहीं निक की इस हालत को देखकर स्कूल में बच्चे उनसे अलग थलग रहते थे और उनका मजाक उड़ाते थे।
इन सभी चीजों ने निक के दिमाग पर बहुत गहरा असर डाला और जिसका असर ये हुआ कि निक के दिमाग में सुसाइड करने तक का खयाल आने लगा। जब निक सिर्फ 10 साल के थे तो उन्होंने पानी के टब में डूबकर आत्महत्या करने की भी कोशिश की लेकिन उन्हें बचा लिया गया।
उनकी इस कोशिश ने उनके माता पिता को अंदर तक हिला दिया और अब निक के माता पिता उनकी पहले से ज्यादा धयान देने लगे थे। माता पिता के प्यार और प्रोत्साहन ने निक को एक नया नजरिया दिया और उन्होंने आत्महत्या का ख्याल अपने दिमाग से हमेशा के लिए निकाल दिया।
माता – पिता ने बनाया आत्मनिर्भर।
निक आत्महत्या का ख्याल तो दिमाग से निकाल चुका था लेकिन जिंदगी जीने की कला अब भी वो नहीं सीख पाए थे। लेकिन इसमें उनकी मां ने उनकी बहुत मदद की। निक की मां ने उन्हें एक आर्टिकल पढ़ने को दिया। इस आर्टिकल ने निक को ना सिर्फ सफलता का रास्ता दिखाया बल्कि जिंदगी जीने की एक नई कला भी सिखाई। ये आर्टिकल एक ऐसे आदमी के जीवन और उसकी सफलता पर लिखा गया था जिसने विकलांगता की लड़ाई ना सिर्फ लड़ी थी बल्कि जीत भी हासिल की थी।
इस आर्टिकल को पढ़कर निक को एहसास हुआ कि वो अकेले नहीं हैं जो अपनी विकलांगता के साथ जीवन में संघर्ष कर रहे हैं। बिना हाथ पैर के साथ किसी का आत्मनिर्भर होना थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन निक के माता – पिता उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में लग गए और इसी के चलते निक को वो तैरना सिखाने लगे। मात्र छह साल की उम्र में निक ने टाइपिंग सीखी। लेकिन अब आप ये सोच रहे होंगे कि बिना हाथ कोई टाइपिंग कैसे कर सकता है। तो ये मुमकिन हुआ उनके माता – पिता की मेहनत और डॉक्टर्स की मदद से।
दरअसल, डॉक्टर्स की हेल्प से निक के लिए एक ऐसा डिवाइस बनाया गया था जिसकी मदद से वो पेंसिल और पेन को पकड़ना और लिखना सीख पाए। इसके साथ ही निक के माता पिता ने फैसला किया कि वो उन्हें स्पेशल स्कूल में भेजने की जगह नॉर्मल स्कूल भेजेंगे। नॉर्मल स्कूल में निक को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन इन मुश्किलों ने निक को और मजबूत बना दिया।
अब वो धीरे धीरे नॉर्मल बच्चों की तरह ही पढ़ने लिखने और बाकी के दूसरे काम करने लगा। निक ने अपने बेहद छोटे और विकृत पैरों की मदद से पढ़ने लिखने, फुटबॉल और गॉल्फ सीखना शुरू किया। विकृत पैरों को इनके साइज की वजह से चिकन ड्रमस्टिक कहते हैं। इतना ही नहीं वक्त बीतने के साथ ही निक ड्रम बजाना, मछली पकड़ना, पेंटिंग और स्काई डाइविंग भी करने लगा।
ऐसे शुरू हुआ मोटिवेशनल स्पीकर बनने का सफर।
निक जब 10वीं क्लास में पढ़ते थे तो वे अक्सर अपने स्कूल के चौकीदार से बातें किया करते थे। निक की बातें चौकीदार को काफी अच्छा लगती थी और एक दिन चौकीदार ने निक से कहा कि आप काफी अच्छे बोलते हैं तो आप एक स्पीकर क्यों नहीं बन जाते? चौकीदार की यह बात निक को भा गई और उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दे दी। इस टाइम निक की उम्र मात्र 17 साल थी और उन्होंने फैसला किया कि वह अपनी कहानी से दूसरे लोगों को प्रोत्साहित करेंगे।
निक ने इसके बारे में अपने दोस्तों से बात की तो उन्होंने निक की मदद करने का फैसला किया। पूरे स्कूल में बात फैला दी कि नए स्कूल में स्पीच देगा। हालांकि उनका यह भाषण सिर्फ छह छात्रों ने सुना, लेकिन छह के छह छात्र निक से पूरी तरह प्रोत्साहित हुए। यानी अपनी पहली स्पीच में निक ने 100% सक्सेस हासिल की। 21 साल की उम्र में निक ने अकाउंटिंग और फाइनैंस में ग्रैजुएशन करने के बाद एक मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर अपने कैरियर की शुरुआत की। शुरुआती दौर में ही निक की फैन फॉलोइंग तेजी से बढ़ने लगी, जिसके बाद निक ने एक नॉन प्रॉफिट एनजीओ लाइफ विदाउट लिमिट्स (NGO) की स्थापना की। इसके जरिए वह लोगों को अपनी कहानी से मोटिवेट करते थे।
इस तरह जल्द ही निक वुजिकिक से बहुत से लोगों के लिए मोटिवेशन बन गए। मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में निक स्कूल स्टूडेंट्स, यंगस्टर्स और प्रोफेशनल्स को मोटिवेट करते रहे। लेकिन एक बार उनकी स्पीच सुनने एक साथ 1 लाख से भी ज्यादा लोग इकट्ठे हो गए। उनके बैठने के लिए जगह भी नहीं थी। बावजूद इसके उन्हें सुनने के लिए वह वहां खड़े रहे। अब निक को नेम फेम दोनों ही मिलने लगे थे।
निक वुजिकिक को मिला प्यार।
इसके बाद 2008 में उनकी मुलाकात कनै मिहरा से हुई, जो कि निक की मोटिवेशनल स्पीच से काफी इंप्रेस हुई थी। यह मुलाकात जल्दी प्यार बदल गई और चार साल डेट करने के बाद निक ने महेश आरा से शादी कर ली और अब इन दोनों के चार बच्चे हैं।
निक ने अपने सपने को पूरा किया।
निक ने अब तक 60 से ज्यादा देशों की यात्रा की है और लाखों लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई है। उनकी इन कोशिशों के लिए उन्हें 1990 में ऑस्ट्रेलिया युवा नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा निक ने एटिट्यूड एटिट्यूड नाम से कंपनी भी बनाई है। इतना ही नहीं निक ने 2009 में आई शॉर्ट फिल्म बटरफ्लाई सर्कस में भी काम किया था। इस फिल्म के लिए निक को बेस्ट एक्टर चुना गया था।
इस तरह निक ने कदम कदम पर यह साबित कर दिया कि किसी की डिसेबिलिटी उसकी सक्सेस को रोक नहीं सकती है। अगर इरादे मजबूत हैं तो कोई भी कमी आपका रास्ता नहीं रोक सकती है और सफलता आपके कदम एक न एक दिन जरूर चूमती है। निक कहते हैं कि उनका सबसे बड़ा सपना यही है कि वह जब भी जिंदगी में पीछे मुड़कर देखें तो यह कह सकें कि मैंने कर दिखाया। शायद किसी ने ठीक ही कहा है कि विकलांगता शरीर से नहीं दिमाग से होती है और इस बात को निक ने साबित कर दिया।
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