Nithin Kamath Success Story: 14 साल की उम्र में स्कूल से हुए ड्रॉपआउट, कॉल सेंटर में की आठ हज़ार रुपये की नौकरी, आज भारत के सबसे युवा अरबपति। एक ऐसा व्यक्ति जिसने कोई बड़ी डिग्री हासिल न की हो और स्कूल की पढ़ाई भी अधूरी छोड़ दी हो, क्या वो अरबपति बन सकता है? ये बात सुनने में किसी फिल्म की कहानी जैसी लगेगी लेकिन पूरी तरह से सच है। यह कहानी है भारत के सबसे युवा अरबपति निखिल कामथ की।
34 वर्षीय निखिल कामथ ब्रोकरेज फर्म जरौंधा के को फाउंडर और सीआईओ हैं। आज ज़ेरोधा देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म कंपनियों में से एक है। इसकी शुरुवात निखिल कामथ ने साल 2010 में की थी। ज़ेरोधा के अलावा निखिल कामत ने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी ट्रू बेकन की भी शुरुआत की है। निखिल के मुताबिक कोरोना संकट की वजह से साल 2020 शेयर बाजार के लिए बुरा साल था। लेकिन उनकी फर्म ने इस दौरान करीब 20 लाख नए ग्राहक जोड़े और अभी ज़ेरोधा के करीब 40 लाख रजिस्टर्ड यूजर्स हैं।
निखिल कामत की शुरुवाती ज़िंदगी।
एक इंटरव्यू में निखिल कामत ने अपने संघर्ष से सफलता तक की कहानी भी बताई है। निखिल कामत बताते हैं, पिता एक बैंक में काम करते थे और अक्सर उनका ट्रांसफर होता था। मेरी उम्र नौ साल की थी, जब हमने बेंगलौर में रहना शुरू कर दिया। लेकिन तब भी मुझे स्कूल से नफरत थी। कोई तुम्हें यह नहीं बताता कि तुम्हें कुछ क्यों करना है। तुम्हें सिर्फ वह करना होता था। एक बार पीटी टीचर ने सही से मार्च न करने पर मुझे डांटा था। समय के साथ सिर्फ एक औपचारिक शिक्षा में मेरी दिलचस्पी खत्म हो गई।
बीच में ही छोड़ना परा स्कूल।
निखिल कामत बताते हैं की, मैं चेस खेलता था और 14 साल की उम्र में मैंने अपने दोस्त तेजपाल के साथ बिजनेस शुरू किया। हम पुराने फोन खरीद कर बेचा करते थे। लेकिन तब मेरी मां को लगा कि मैं स्कूल की पढ़ाई से दूर जा रहा हूं तो उन्होंने सारे फोन टॉयलेट में फ्लश कर दिए।
तब तक मेरा स्कूल नहीं चाहता था कि मैं अपने बोर्ड एग्जाम दूं और उन्होंने अपने माता पिता से मिलवाने को कहा। वे चाहते थे कि मैं अपने किए पर खेद महसूस करूं, इसलिए मैंने स्कूल छोड़ दिया। मेरे पेरेंट्स ने सिर्फ मुझसे कहा, कुछ ऐसा मत करना जिससे हमें बहुत ज्यादा शर्मिंदा होना पड़े। उनकी यह गलतफहमी थी कि मैं स्मार्ट था। मैं मैथ में अच्छा था। उन्हें मुझ पर सिर्फ अंधा विश्वास था।
स्कूल छोड़ने के बाद मुश्किलों में बीतें दिन।
इसके अलवा इन्होने अपने परिश्रम भरे दिनों के बारे में भी बताया की, स्कूल छोड़ने के बाद मेरी एक ही योजना थी कि मुझे पैसा कमाना है। मैं एक सामान्य मध्यवर्गीय परिवार से आता हूं। मेरे चचेरे भाई एमबीए वालों में से हैं, इसलिए मैं आगे जिंदगी में क्या करने वाला हूं? ऐसे सवाल पूछे गए।
लेकिन झूठा जन्म प्रमाणपत्र दिखाने पर मुझे जल्दी ही कॉल सेंटर में नौकरी मिल गई। जब मैं 17 साल का था, मुझे ₹8,000 सैलरी मिल रही थी। फिर मेरी गर्लफ्रेंड और मुझे अपनी खुद की एक जगह मिल गई। मैंने शाम 04:00 बजे से 01:00 बजे तक काम किया और सुबह मैंने ट्रेडिंग की कोशिश की। जब आप रिश्तेदारों के दवाब से दूर होते हैं तो आप बहुत कुछ सीखते हैं।
ऐसे हुआ जरौंधा का शुरुवात।
निखिल कामत बताते हैं की, 18 साल की उम्र में मैंने शेयरों का व्यापार ठीक से शुरू किया। पिता ने मुझे अपनी बचत का कुछ हिस्सा दिया और कहा कि मैं इसे मैनेज करूं। उन्हें मुझपर बस अंधा विश्वास था। उसके बाद मैंने अपने मैनेजर को भी ऐसा करने के लिए मना लिया। यह उसके लिए अच्छा रहा और उसने दूसरों को बताया।
आखिरकार मैंने काम पर जाना बंद कर दिया। लेकिन मेरी अटेंडेंस लगा दी जाती थी क्योंकि मैं पूरी टीम के पैसे को मैनेज कर रहा था और फिर मैंने सब छोड़कर अपने भाई के साथ कामत असोसिएट्स शुरू किया और 2010 में हमने zerodha लॉन्च किया।
अभी भी लगन के साथ करते काम।
स्कूल ड्रॉप आउट होने से लेकर कॉल सेंटर में काम करने तक। फिर जीरो था और टरू बीकन तक मैंने उन दो तीन चीजों का पता लगाया है जो मैं अच्छी तरह से करता हूं। मैं हमेशा करता रहता हूं। एक अरबपति बनने से कोई बदलाव नहीं आता। मैं अभी भी दिन में 85% काम करता हूं और इस असुरक्षा के साथ जीता हूं।
अगर यह सब मुझसे ले लिया गया तो क्या होगा? इसलिए मेरी एकमात्र सलाह यह है कि किसी चीज को लेकर परेशान न हों। पांच साल बाद जिन चीजों के बारे में आप अभी चिंता कर रहे हैं, उनसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तो क्यों न वह किया जाए जो आज आपको करना है और जिस पर आपको अंधा विश्वास है कि यह किसी तरह काम जरूर आएगा।